Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

झुक आई बदरिया सावन की ।
सावन की मनभावन की ।
नन्हीं-नन्हीं बुँदियाँ , मेहा बरसे ,
भनक पड़ी हरि आवन की ।
– मीरा ।

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
Loading...