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महोदय, आज के समय की वास्तविकता ।
सामाजिक जीवन में आलोचना को तटस्थता या निरपेक्षता के समरूप देखा,माना गया है लेकिन आज किंचित आग्रहों, पूर्वाग्रहों और स्वार्थपरता जैसे कारणों से आलोचना पर ही प्रश्नचिन्ह लग रहा है और पाठक का दुविधाग्रस्त होना स्वाभाविक हो जाता है ऐसे में पक्ष और विपक्ष दोनों की आलोचनाओं का एक साथ सत्यनिष्ठ विश्लेषण ही सच्चाई को स्थापित कर सकता है ।
धन्यवाद।

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29 Jul 2023 10:07 AM

जी बहुत बहुत आभार आपका 😊

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