ज़िंदगी में और भी बहुत से ग़म हैं, ग़म- ए -मोहब्ब़त के सिवा , हर किसी को मिलता नहीं यहां, अहल -ए-दिल मुनासिब सिला ,
श़ुक्रिया !
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ज़िंदगी में और भी बहुत से ग़म हैं, ग़म- ए -मोहब्ब़त के सिवा ,
हर किसी को मिलता नहीं यहां, अहल -ए-दिल मुनासिब सिला ,
श़ुक्रिया !