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बहुत खूब !
हक़ीक़त का आईना दिखाती पेशक़श !
“जरासी खामोशी चश्म में उभर आये
तो आईना भी दिखाता होशियारी है ।।”
इसका तफ़सील- ए -बयाँ पेश करें !
आस्थाएं की जगह अक़ीदतें लफ़्ज बेहतर होता।

श़ुक्रिया !

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आँखों में ख़ामोशी नजर आती है तो आईना भी मजे लेता है शायर को ऐसा लगता है कि वो जब आईने से रूबरू हो तो कम से कम चेहरे की हकीकत आईना ना बताये इसीलिये जरासी लफ्ज़ का इस्तेमाल किया है शायर को लगता है के आइना असलियत में चेहरा दिखाकर अपनी होशियारी बताता है जब की शायर पहले से ग़मज़दा है और वही रौती सूरत दिखाकर आईना उसे चिढ़ाता है और इसलिए होशियारी लफ्ज़ का इस्तेमाल किया है जी धन्यवाद🙏🙏🙏🌹🌹🌹

श्रद्धा, आस्था, एतिकाद, भरोसा, एतबार, निष्ठा अक़ीदत इतने शब्दप्रयोग किये जा सकते है और एक लफ्ज़ है खुलूस-ओ-मोहब्बत अक़ीदत का पर्यायवाची जी आपके मार्गदर्शन के लिए बहोत बहोत हृदयतल से शुक्रिया 🙏🙏🙏

बहुत खूब ! हक़ीक़त से दो चार होना किसी भी शख़्स को जो ख़्वाबों की दुनिया में जीता नाग़वार गुज़रता है !
श़ुक्रिया !

Bhot khub ji 🙏🙏🙏

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