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सांसों के तार पर धड़कन की ताल पर,
नग़मा सा कोई जाग उठा ज़ेहन में ,
झंकार सी कोई थरथरी है तन में ,
सोज़ -ए- दिल में इक असर जलता है ,
होते लबरेज़ गज़ल बन उभरता है ,

श़ुक्रिया !

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29 Jul 2022 09:10 AM

Sir आपने लिजा बहुत अच्छा पर ये comment है या कुछ और मैं समझा नहीं। थोडा सा ये क्लियर कीजिए हम पर कृपा होगी।

आपकी प्रस्तुति से मेरे हृदय में उद्-गार जो उठे उन्हे प्रस्तुत किया है।

29 Jul 2022 11:46 PM

बहुत बहुत शुक्रिया sir जी।

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