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27 Oct 2016 09:45 AM

डा अर्चना गुप्ता जी!
आपकी ग़ज़ल ” अर्चना मेरी है तू” शीर्षक बहुत उम्दा ।
” भींगता रहे है मन / सावनी झड।ी है तू ” बहुत शानदार ! बधाई !
— जितेन्द्र कमल आनंद
२७-१०-१६

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27 Oct 2016 10:17 AM

शुक्रिया आपका

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