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20 May 2022 05:45 PM

बहुत सुंदर कविता,पर प्रकृति मनुष्य के अनुसार नही चलती है। मनुष्य के कारण ही प्राकृतिक सिस्टम गड़बड़ हो गया है।

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20 May 2022 05:50 PM

धन्यवाद जी

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