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फूलों की तरह (महिया)
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// नदी में पानी है, /
कहा चली जाती हो तुम /
प्रेम अज्ञान है। /

अम्बर चाँद उग आया है, /
उजाले की रात में /
मछली ने उसका कान पकड़ लिया। /

दो दिलों का मिलन, /
पटरियों पर दौड़ना, /
खुशियों की ट्रेन है। /

पैर नहीं टूटे। /
मैं फिर से नाचता हूँ, /
दर्शन एक फूल की तरह है। /

दूध में मीठा होता है /
मुझे जाने दो /
हम कब मिलेंगे। /

अद्भुत, /
तन, मन, धन सब हरे हैं। /

सुखविंद्र सिंह मनसीरत /
खेरी राव वाली (कैथल) /
nice Mahiya…. Sir ji….

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