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नारी मन को समझना और समझ के उसके अनुरूप व्यवहार करना , अत्यंत गहरा विषय है, अपितु , कठिन नही , बस उसको सम्मान की नजरों से पढियेगा तो वो स्वयं से विरूपित हो प्रगट हो जाती है , ऐसे ही भाव आपकी रचना के प्रत्येक शब्द में झलकते हुए में देख रहा हूँ । आदरणीय डॉ स्वाति जी

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