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टूटे तार के साज़ की कोई आवाज़ नहीं होती ,
गिरे ज़मीर की कोई औकात नहीं होती ,
राज़ जो दिल में ना छुपे नजरों से बयाँ हो जाए ,
उस राज़े हक़ीक़त की कोई अहमियत नहीं होती ,
श़ुक्रिया !

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27 Sep 2021 06:59 AM

धन्यवाद श्रीमान ?

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