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सरापा आरजू बन कर कर , तसव्वुर आशना होकर,
रहेंगे हम उन्हीं के रू -ब -रू , उनसे जुदा होकर ,
ठहरने ही नहीं देता मज़ाके- जुस्तजू मुझ को ,
गुज़र जाता हूं हर मंज़िल से , मंज़िल- आशना होकर ,
रहे इश्क़ो -वफ़ा में , इख़्तिलाफे-शौक क्या मानी ,
पहुंच जाएगी इक मर्कज़ पे , दुनिया जा -ब-जा होकर ,

श़ुक्रिया !

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Khushi Author
23 Sep 2021 08:45 PM

धन्यवाद।

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