आपकी प्रस्तुति को मैंने अपने प्रकार से प्रकट किया हैं : क्यूँ रूठी है तकदीर हमारी, बता दे हुई क्या खता हमारी , लाख कोशिश की पर मानती नहीं , परेशाँ हैं क्यूँ हम ये पहचानती नही , श़ुक्रिया ! रुसवा शब्द का भाव उपयुक्त प्रतीत नही होता है।
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आपकी प्रस्तुति को मैंने अपने प्रकार से प्रकट किया हैं : क्यूँ रूठी है तकदीर हमारी, बता दे हुई क्या खता हमारी , लाख कोशिश की पर मानती नहीं , परेशाँ हैं क्यूँ हम ये पहचानती नही , श़ुक्रिया ! रुसवा शब्द का भाव उपयुक्त प्रतीत नही होता है।