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बहुत खूब !
आपके द्वारा प्रस्तुत भावों को मैंने अपने शब्दों में कुछ इस तरह प्रस्तुत किया है :
जो जख्म दिए भरते नहीं ,क्यूँ नये जख्म दिए जाते हो ,
दर्द बढ़ता रहता है दिल संभलता नहीं फिर भी चोट किए जाते हो,
मायूस हो , हद्दे नज़र से दूर हो जाएंगे ,
जितना भी पुकारो फिर तेरे पास नहीं आएंगे ,
मेरी बावफ़ाई का सिला जो तूने दिया याद रखेंगे ,
खुश रहे तू सदा ये दुआ तहे दिल से देकर जाएंगे ,
श़ुक्रिया !

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26 Aug 2021 02:16 PM

आदरणीय प्रणाम आपके द्वारा लिखे शब्दों की दिल से कद्र करता हूं ??

धन्यवाद !

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