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13 Jun 2021 10:43 PM

सुंदर रचना।कृपया मेरी रचनाओं का भी अवलोकन करे।

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14 Jun 2021 09:34 AM

धन्यवाद मोहोदय

“दोनों की आंखें चार हुई पर शर्म से आंखे शर्मशार हो गई।”
ये पंक्ति मेरे मन में समा गई।
बहुत उम्दा लिखा है आपने, प्रणाम ?

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