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आंखों से रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा,
जज़्बातों को परखा न जाना उसने ,
हीरे से दिल को पत्थर ही समझा उसने ,
श़ुक्रिया !

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13 Apr 2021 08:39 PM

Bahut khoob

श़ुक्रिया !

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