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सबके साथ रहकर भी मैं तन्हा हूं ,
मैं अपने आप का साया हूं ,
मुझे अज़ीज़ है हासिल से बढ़के लाहासिल ,
सराब -ए -आप में खोया हूं ,
सफर -ए – इश्क में मुझसे जो अजनबी ठहरी ,
मैं वो खुशी की तमन्ना हूं ,
सहर उम्मीद की लगता हूं , पर यकीं जानो ,
अजाब-ए-शामे तमन्ना हूं ,
श़ुक्रिया !

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