Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

माँ की महिमा का मनोहारी एवं हृदयस्पर्शी गायन। माँ के विराट स्वरुप का दर्शन कराती रचना। आपकी रचना पर 15 वां वोट मेरा भी।

रचना में संशोधन सुझा रहा हूँ –

माँ तु मेरी कल्पना की सागर = माँ तू मेरी कल्पना का सागर ( सभी स्थानों पर तु को तू लिखिये )

शुभकामनाएँ।

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
12 Nov 2018 06:54 AM

धन्यवाद आदरणीय
आपके मार्गदर्शन हेतु धन्यवाद

Loading...