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क्या क्या न सहे हमने सितम आप की खातिर ,
तड़पे है दिले खाना सनम आप की खातिर ,
निकलेगा किसी रोज़ ये दम आप की खातिर ,
ये जान भी जाएगी सनम आप की खातिर ,
श़ुक्रिया !

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शुक्रिया जी

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