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सभी कवि महोदय लोगों से मैं गुजारिश करना चाहूँगा कि साहित्यपीडिया एक कवि मंच ही नहीं बल्कि यह सुविचारों वाले लोगों का बहुत बड़ा परिवार है , जहाँ हमसभी को बड़े – छोटे का भेदभाव मिटाकर एक समान समझना चाहिए । जजेज का निर्णय हमसभी के लिए सर्वोत्तम और सर्वोपरि माना जाना चाहिये । इनाम के लिए हमें आपस में कभी टकरार और भेदभाव की भावना बिल्कुल नहीं करनी चाहिए । एक दूजे का शिकायत नहीं करना चाहिए । हर चीज हमें एक नई शिक्षा देती है । तुम ही तुम हो, तो क्या तुम हो और हम ही हम हैं, तो क्या हम हैं । अरे जब जिंदगी में हमारे बहुत सारे गम हैं, तो अभी से ही हमारी आँखें क्यों नम हैं । बहुत सारी खुशीयाँ है बाकी मिलने को, पा लेंगे उसे आप । यकीन है हमें, कि आपमें भी इतना दम है ।। भुलचुक हुई हो तो अपने इस भाई को माफ कर देना पर आपस में प्रेम करना कभी मत छोड़ना ।
?शुभ रात्रि । शब्बा खैर । ??????????
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