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अजनबी शहर के अजनबी रास्ते मेरी तन्हाई पर मुस्कुराते रहे ,
मैं बहुत देर तक यूं ही चलता रहा तुम बहुत देर तक याद आते रहे ,
कल कुछ ऐसा हुआ मैं बहुत थक गया इसलिए सुनकर भी अनसुनी कर गया ,
कितने यादों के भटके हुए कारवां दिल के जख्मों के दर खटखटाते रहे ,
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते मेरी तन्हाई पर मुस्कुराते रहे ,

श़ुक्रिया !

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21 Feb 2021 11:05 AM

बहुत शुक्रिया ।

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