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?? बसी हो जब से तुम मेरी धड़कन में, फिजाओं में तुझे पाने की क्यूँ गुजारिश सी होती है । बहुत सुंदर लिखे हैं सत्येन्द्र बिहारी जी । आपकी रचना को मैंने छठा वोट दे दिया है । ध्यान रहे ।??हमारी रचना “ये खत मोहब्बत के” पर भी प्रकाश डालें पसंद आये तो अवलोकन कर वोट देने की कृपा करें । आपके वोट का इंतजार रहेगा महोदय ।?????

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