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सच ही कहा है भूखे पेट ना भजन होत
गोपाला !
यदि मनुष्य भूखा हो तो उससे ज्ञान की बातें करना व्यर्थ है । पहले उसकी भूख को शांत करना आवश्यक है । मनुष्य भूखा ,दुःखी , त्रस्त
एवं जीवन की आधारभूत आवश्यकताओं से वंचित हो , तो उसके समक्ष के ज्ञान की बातें करना स्वयं को मूर्ख सिद्ध करना है।
अति सुंदर संदेश !
यह संदेश उन सभी लोगों को पहुंचे जो बिना परिस्थिति को समझें कहीं भी ज्ञान बांटने का प्रयास करते हैं ।
धन्यवाद !

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