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इस विषय में मेरी राय अलग है , लगता है मेरी स्वतंत्र विचारधारा से मंच के नियमों का उल्लंघन हुआ है। जिसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं । मेरा उद्देश्य अपने स्वतंत्र विचार प्रस्तुत करना मात्र है किसी व्यक्ति विशेष या समूह विशेष द्वारा प्रस्तुत विचारों में अंतर्निहित भावनाओं को आहत करना नहीं है। भविष्य में मै किसी भी विवादित विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करने का दुस्साहस नहीं करूंगा ! आपका अकिंंचन हिंदी साहित्य सेवक , श्यामसुंदर सुब्रमण्यन्

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