ना कोई चाहत, ना हसरत है मुझको
जब भी नज़र उठे, मुस्कराता पाऊँ तुमको
हमारा क्या है, हम तो जी लेंगे मर मर कर भी ‘देव’
आपके हर गम मेरे,और मेरी हर खुशी मिल जाये तुमको ?
ये जो दिल का रिश्ता ह ना, बडा अजीब होता हॆ
जितना दूर होता हॆ,नजरों से, रूह के उतना ही करीब होता हॆ
दिल ए अजीज सभी खुबसूरत मेहमानों का कोटिशः आभार ?
माफ करना जी, आपको वोट नहीं कर पाया?
अगली बार मेरा वोट आपका ही जी ??
ना कोई चाहत, ना हसरत है मुझको
जब भी नज़र उठे, मुस्कराता पाऊँ तुमको
हमारा क्या है, हम तो जी लेंगे मर मर कर भी ‘देव’
आपके हर गम मेरे,और मेरी हर खुशी मिल जाये तुमको ?
ये जो दिल का रिश्ता ह ना, बडा अजीब होता हॆ
जितना दूर होता हॆ,नजरों से, रूह के उतना ही करीब होता हॆ
दिल ए अजीज सभी खुबसूरत मेहमानों का कोटिशः आभार ?
माफ करना जी, आपको वोट नहीं कर पाया?
अगली बार मेरा वोट आपका ही जी ??