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3 Jan 2021 11:07 AM

गांधी जी को आत्मसात करते हुए अपनी व्यथा को वर्तमान शासकों के समक्ष प्रस्तुत करके उनसे सहृदयता की आकांक्षा के साथ संघर्ष रत्त किसान की भाव भंगिमा को बहुत ही मार्मिक तर्कसंगत एवं सटीक रुप से परिभाषित करने के लिए साधुवाद! आपकी किसान के प्रति समर्पित भावनाएं प्रभावित करने में सक्षम हैं!

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बहुत बहुत धन्यवाद सर

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