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तुम्हारे खत में नया इक सलाम किसका था ,
न था रक़ीब तो आखिर वो नाम किसका था ,
रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा ,
म़ुकीम कौन हुआ है म़ुकाम किसका था ,
वफ़ा करेंगे निब़ाहेगें बात मानेंगे ,
तुम्हें भी याद नहीं ये क़लाम़ किसका था ,
गुजर गया वह ज़माना कहेंं तो किससे कहें,
ख़याल मेरे दिल को सुबहो शाम किसका था ,

श़ुक्रिया !

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27 Dec 2020 02:46 PM

वाह बहुत ख़ूब

श़ुक्रिया !

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