Rajesh vyas
Author
16 Nov 2020 10:01 AM
आपके शब्द लाजवाब !!
धन्यवाद!!
सुंदर प्रस्तुति !
आपकी प्रस्तुति को मैंने अपने शब्दों में प्रस्तुत किया है, कृपया स्वीकार हो :
प्यार का सैलाब़ सब कुछ बहा के ले गया,
कल तक मैं उसके साथ था, आज अकेला रह गया,
संग जीने मरने की कसमें खाई थी कल हमने,
पर आज तेरी फ़ितरत को , एक ज़रदार भा गया,
प्यार को इब़ादत माना , दिल में बसा कर तुझको चाहा,
शीशा- ए – दिल में छुपा के रक्खा , ऐ सितम़गर तेरा प्यार ,
तोड़कर उसे तुझे , तेरी सूरत के सिवा क्या मिला ,
इश्क़ की राहों में हादसों के दौर हैं,
संभलना इश्क वालों यहां अपनों में भी गैर हैं ,
आह ! ये सदमा मेरा ही दिल था जो मैं सह गया ,
क्या कहूं क्या दिल पे गुज़री , क्या दर्द-ए-ग़म था जो मैं पा गया ,
इस जहाँ में सच्चा प्यार , नसीब़ से हास़िल है ,
वरना यहां खुदगर्ज़ प्यार , दौलत का हाम़िद है ,
श़ुक्रिया !