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18 Oct 2020 12:24 PM

बहुत ही तर्कसंगत रुप में इस रचना को प्रस्तुत करते हुए,बहन जी ने स्त्री की महिमा को ही नहीं अपितु उसकी उपयोगिता और उसकी अनिवार्यता को परिभाषित करके, वर्तमान परिवेश में हो रही असंवेदनशील परिघटनाओं को भी रेखांकित किया है, और साथ ही यह भी कि महिलाओं को हर युग में अपने अस्तीत्व के लिए संघर्षरत रहना पड़ा है! सादर शुभकामनाएं के साथ अभिवादन।

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