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1 Jul 2020 08:48 AM

अति सुन्दर अविस्मरणीय प्रस्तुति हेतु कोटि कोटि धन्यावाद!

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आपकी सारगर्भित टिप्पणी के लिए आभारी हूँ। ये दोहे मेरी पुस्तक रामभक्त शिव से लिए गए हैं। ये पुस्तक मेरे पिताश्री को समर्पित है। वे बड़े राम भक्त थे। उन्होंने पूरा जीवन रामायण के लिए ही जिया और रामायण पर ही ख़त्म किया। उनकी जीवनी भी साहित्यपीढ़िया में नीचे उपलब्ध है।

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