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ईमान बेचने से तात्पर्य यहां सब कुछ अपना दांव पर लगाने से है ना कि बेचने से सर और खरीदने से क्योंकि जब कोई दूसरी जाति की लड़की से मोहब्बत करता है तो आज के परिवेश उसे कोई स्वीकार नहीं करता विरले ही ऐसे देखने को मिलेंगे जो उनको प्यार को स्वीकार कर ले
धन्यवाद सर

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