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10 Jun 2020 08:18 AM

मजहब के इस भीड़ में ना जाने कितने मुसाफ़िर खो गए ,
अपने अपने को श्रेष्ठ बनाने में ना जाने कितने रूह रो गए।

शुक्रिया

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11 Jun 2020 01:46 AM

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