दीपक झा रुद्रा
Author
30 May 2020 10:32 PM
बहुत खूब साहब उम्दा प्रस्तुति
ऱूदादे दिल की दास्ताँँ कैसे लिखकर पेश करूं ।
ए़़हसास हर्फ़ो में नहीं सिमटते प़ैकर लिख लिख कर थकते।
फिर भी मेरी दास्ताँँ पूरी नहीं होती।
काश मेरे साथ तेरी मोहब्बत की ये मजबूरी ना होती।
श़ुक्रिया !