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In reply to Shyam Hardaha
23 May 2020 06:38 PM

धन्यवाद की कोई बात नहीं. हम पाठक तो आप लोगों के वैसे भी ऋणी होते हैं. वैसे भी मैं किताबें, कविता संकलन खरीदकर पढ़ता हूं लेकिन आपकी क्वालिटी कविताएं मुफ्त पढ़ने को मिल रही हैं. क्या हमारे लिए यह काफी नहीं है. हां एक बात और चलते-चलते…
आपकी इस कविता का शीषर्क ‘आखिरी बैंच’ के स्थान पर ‘आखिरी बैंचधारी’ या ‘आखिरी बैंचवाले’ ज्यादा उचित होता.

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