समाजिक परिवर्तन के संदर्भ में ‘कभी नहीं ‘ शब्द संयोजन का कोई अर्थ नही है ।हमनें इसी लेखन और जन चेतना को आधार बना कर सती प्रथा जैसी ज़लील बीमारियों से मुक्तिबोध के पथ ओर बढ़ चले थे। बस आवश्यकता है आप हम जैसे खाकसारो की ।
समाजिक परिवर्तन के संदर्भ में ‘कभी नहीं ‘ शब्द संयोजन का कोई अर्थ नही है ।हमनें इसी लेखन और जन चेतना को आधार बना कर सती प्रथा जैसी ज़लील बीमारियों से मुक्तिबोध के पथ ओर बढ़ चले थे। बस आवश्यकता है आप हम जैसे खाकसारो की ।