सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Author
12 Feb 2020 12:06 AM
आभार
आभार
खिलौना जानकर मेरे दिल को न तोड़ो तुम ।
मैं राही हूं मोहब्बत का अकेला अब न छोड़ो तुम।
श़ुक्रिया !