अरशद रसूल बदायूंनी
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10 Feb 2020 11:06 PM
बहुत खूब, शुक्रिया
जिंदगी सिसक रही है इंसानियत गुम है।
कल तक जो थे अपने अजनबी से बन रहे हैं।
हमराज़ दोस्त भी अब कतरा के निकल रहे हैं।
पश़ेमां हूँ यह मेरी नज़रों का कसूर है।
या ज़माने का दस्तूर है।
श़ुक्रिया !