आर.एस. 'प्रीतम'
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2 Feb 2020 09:07 AM
सुंदरतम्!–?
सुंदरतम्!–?
हमको तो जान से प्यारी है तुम्हारी आंखें ।
हाय काजल भरी मदहोश ये प्यारी आंखें ।
नरगिसी फूल है हंस हंस के खिली जाती हैं ।
नींद के बोझ से शरमा के झुकी जाती है ।
हमने देखी ना कहीं ऐसी तो कुंवारी आंखें ।
हाय काजल भरी मदहोशी ये प्यारी आंखें ।
धन्यवाद !