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इस जिंदगी के सफर में हर शख्स एक मुसाफिर है ।
इस सफर में रिश्ते बनते हैं बिगड़ते हैं ।
दोस्त बनते हैं बिछड़ते हैं ।
हमसफर अपनी अपनी मंजिल पर जुदा हो जाते हैं ।
इसमें कभी खुशगवार लम्हों का दौर ।
तो कभी गमगीन पलों का साथ ।
कभी पाने की खुशी तो कभी खो जाने का गम ।
कभी प्यार के आगाज़ की खुशी ।
तो कभी जुदाई का गम।
रफ्ता रफ्ता चलता रहता है।
और हर शख्स इस सफर में मुसाफिर की तरह उलझा रहता है।
श़ुक्रिया ।

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