सुखविंद्र सिंह मनसीरत
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23 Jan 2020 10:35 PM
आभार
आभार
निकले थे हम अकेले इस जिंदगी के सफर में राह में हमसफर बनते गए।
अपनी अपनी मंजिल पर बिछड़ते गए।
सफर की इन्तेहां में हम सिर्फ़ अकेले थे साथ कोई न था।
श़ुक्रिया !