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आप की कथा ने एक ज्वलंत विषय पर प्रकाश डाला है । मेरे विचार से अल्पायु में होने वाले दोस्ती जो दो विपरीत लिंग वालों वाले व्यक्तियों में होती है को प्रेम में परिवर्तित होने पर उसमें आकर्षण का प्रभाव अधिक रहता है ।अतः यह एक आकर्षण है जिसे प्रेम परिभाषित कर दिया जाता है ।इस प्रकार के प्रेमी यदि विवाह बंधन में भी बंध जाते हैं तो वह बंधन लंबे समय क्या जीवन पर्यंत बना नहीं रहता। दरअसल समाज में विवाह बंधन केवल दो व्यक्तियों का बंधन नहीं बल्कि यह दो परिवारों का मिलन है। समाज में फैली जातीयता एवं रूढ़िवादिता भी इस प्रकार के विवाह बंधन में बाधाएं उत्पन्न करते हैं।

धन्यवाद !

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