Ashwini sharma
Author
4 Jan 2020 09:38 PM
तेरी तब्बसुम पर मुझे जीना आता है,
वरना तो उम्र है कटी जा रही है
धन्यवाद
16 Jan 2020 12:58 AM
आँँसुओं के द़रिया में खुद को डुबोने से क्या हासिल होगा
ग़ेसुओं के स़राबों में भटकने से क्या कुछ मिलेगा।
श़ुक्रिया !
तेरे तब़्बसुम की ग़हराईयों मे मैंं खो गया हूँ।
बेख़ुदी के इस आल़म मे मै तेरा होकर रह गया हूँ।
श़ुक्रिया !