सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Author
2 Jan 2020 08:07 AM
आभार
आभार
मय़नोश़ी जब हद़ से गुज़र जाती है तब मय़कश़ को
तो क्या ये ज़िन्दगी को ही पी जाती है ।
श़ुक्रिया !