वाकई, . . सच्चाई को उज़ागर करती आपकी लेख, नमन आपको, . . ! मगर वो कहावत है रघुरीत सदा चली आयी , , मेरी इक लेख की इक पंक्ती है – —————– चरित्रवान है कोई , कोई बेहया है ये वक्त की पुकार ही है समझते सब, जानते भी सभी हैं मगर न भाव है कहीं न कहीं दया है !
You must be logged in to post comments.
वाकई, . . सच्चाई को उज़ागर करती आपकी लेख, नमन आपको, . . ! मगर वो कहावत है रघुरीत सदा चली आयी , , मेरी इक लेख की इक पंक्ती है –
—————–
चरित्रवान है कोई , कोई बेहया है
ये वक्त की पुकार ही है
समझते सब, जानते भी सभी हैं
मगर न भाव है कहीं न कहीं दया है !