आदरणीय श्यामकुमार जी, प्रेम और सौहार्द्य के प्रतीक सामाजिक विचारो की अनुभूति को प्रकट करना है, इसे तुलनात्मक कसौटी पर रखकर कवित्त भाव की अवहेलना न करे ! ऐसा कोई मंतव्य नहीं है, और लेखन हर विषय पर किया जा सकता है, नकारात्मक या सकारात्मक व्यक्तिगत विचारशीलता पर निर्भर करता है !
आदरणीय श्यामकुमार जी, प्रेम और सौहार्द्य के प्रतीक सामाजिक विचारो की अनुभूति को प्रकट करना है, इसे तुलनात्मक कसौटी पर रखकर कवित्त भाव की अवहेलना न करे ! ऐसा कोई मंतव्य नहीं है, और लेखन हर विषय पर किया जा सकता है, नकारात्मक या सकारात्मक व्यक्तिगत विचारशीलता पर निर्भर करता है !