Nice line sir मस्तिष्क छोड़ हिय में वापस आजाओ। निज आदर्शों का कुछ तो बोझ हटाओ।। हिय तारों में, फिर झंकार जगाओ। और ऊर्जा ले आशा के दीप जलाओ।।०।।
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Nice line sir मस्तिष्क छोड़ हिय में वापस आजाओ।
निज आदर्शों का कुछ तो बोझ हटाओ।।
हिय तारों में, फिर झंकार जगाओ।
और ऊर्जा ले आशा के दीप जलाओ।।०।।