Meera Parihar
Author
5 Nov 2018 05:45 PM
एकलव्य जी ,हार्दिक धन्यवाद आपका ,गलतियों से काव्य का सौन्दर्य बिगड़ जाता है।आपने गहराई से पढ़ा और सुधारने का सुझाव भी दिया।हार्दिक आभार।प्रणाम,सदा सुखी रहें।
जी प्रणाम,आपकी रचना पढ़ी अत्यंत प्रभावी लगी ! परन्तु क्षमा करें एवं त्रुटि सुधार करें ! जैसे बनाकर एक साथ लिखें ,माँ-सा करें! बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने। कृपया इसे अन्यथा न लें ! अशेष शुभकामनाएं , सादर ‘एकलव्य VOTED