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जी प्रणाम,आपकी रचना पढ़ी अत्यंत प्रभावी लगी ! परन्तु क्षमा करें एवं त्रुटि सुधार करें ! जैसे खडी को खड़ी करें,छोङती को छोड़ती करें ,(जिसकी बराबरी ना कर सके को ) में ‘को’ को ‘कोई’ करें तो बेहतर था ,! बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने। कृपया इसे अन्यथा न लें ! अशेष शुभकामनाएं , सादर ‘एकलव्य VOTED

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10 Nov 2018 10:25 AM

प्रणाम, धन्यवाद मेरी त्रुटि ढुंढने के लिए आगे से ख्याल रखुगी
Once again thank you

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