Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jul 2016 10:34 PM

बहुत सुन्दर भाव आदरणीय अंकित शर्मा जी

परन्तु शायद कुण्डली छंद एक दोहा व दो रोला से मिलकर बना होता है पर यहां एक हा रोला है

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
Loading...