Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Sep 2019 12:12 AM

Shandaar lekh सारे मत पंथ, धर्म शास्त्र ये कहते नही थकते की जीवन में कितना भी धन, सम्पत्ति, पुत्र, परिवार इकट्ठा कर लो लेकिन एक दिन खाली हाथ ही जाना पढ़ता है तो क्यों न मैं धन संगृह की बेकार मजदूरी से दूर होकर ऐसा काम करूं जिसका फल और यश में अपने साथ ले जा सकूं | एक बार सोचियेगा ज़रूर…………………

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
Loading...