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जी प्रणाम,आपकी रचना पढ़ी अत्यंत प्रभावी लगी ! परन्तु क्षमा करें एवं त्रुटि सुधार करें ! जैसे बडे को बड़े लिखें ,मुझपर एक साथ लिखें ,रात-रात ऐसे लिखें ,ज्यों-ज्यों ऐसे लिखें ,लिखूं को लिखूँ करें ! बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने। कृपया इसे अन्यथा न लें ! अशेष शुभकामनाएं , सादर ‘एकलव्य VOTED

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